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इस साल डेंगू के मामले क्यों बढ़ रहे हैं? क्या रेड संकेत आम बुखार से अलग हैं? हर प्रश्न का जवाब

इस साल डेंगू के मामले क्यों बढ़ रहे हैं? क्या रेड संकेत आम बुखार से अलग हैं? हर प्रश्न का जवाब

डेंगू महामारी देश भर में फैल गई है। इस साल डेंगू का कहर कम है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन आने वाले नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल (NCVBDC) की वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों के अनुसार, जून के आखिर तक देश में 32,000 से अधिक मामले डेंगू से हुए थे। साथ ही 32 लोग भी मर चुके हैं। दिल्ली की राजधानी में डेंगू मरीजों की संख्या लगभग 20% बढ़ी।

डेंगू क्या है ?

डेंगू, जिसे “ट्रॉपिकल फ्लू” भी कहते हैं, एक संक्रामक बीमारी है। डेंगू को गांव-देहात में “हाड़तोड़ बुखार” भी कहते हैं। यह बीमारी अक्सर हर साल मानसून में फैलती है। डेंगू के चार अलग-अलग सीरोटाइप होते हैं- डीईएनवी-1, डीईएनवी-2, डीईएनवी-3 और डीईएनवी-4.

डेंगू कैसे होता है ?

डेंगू एडीज मच्छरों के काटने से होता है। Health Experts कहते हैं कि टाइगर मच्छरों के काटने से भी डेंगू फैलता है। डेंगू के मच्छर आम तौर पर दिन में ही काटते हैं। वे घुटने से नीचे पैरों को निशाना बनाते हैं।

इस साल डेंगू का कहर ज्यादा क्यों ?

डॉ. राकेश पंडित, आकाश हेल्थकेयर के इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट के एचओडी, बताते हैं कि इस साल मानसून सीजन पिछले साल से ज्यादा लंबा खिंच गया है। दिल्ली सहित कई क्षेत्रों में भी अधिक बरसात हुई। इसलिए मच्छरों को ब्रीडिंग करने के लिए सही जगह मिली। बारिश ने ब्रीडिंग प्लेसेज में वृद्धि की। यह मच्छर अब डेंगू फैलाते हैं।

The Lancet की एक रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन, घनी बस्तियां और भारत के कई राज्यों में तेजी से बढ़ते शहरीकरण भी डेंगू के केसेज का कारण हैं।

डेंगू के लक्षण क्या हैं ?

डेंगू के लक्षण आम बुखार के समान हैं। पहले लक्षण बुखार, सिर दर्द, थकान और मांसपेशियों में दर्द हो सकते हैं।

कैसे पता करें कि सामान्य बुखार है या डेंगू ?

डॉ. राकेश पंडित बताते हैं कि डेंगू में आम बुखार के मुकाबले हाई ग्रेड फीवर होता है, जैसे 103-104 डिग्री। यही इसकी सबसे महत्वपूर्ण पहचान है। मरीज को कई केसेज में उल्टी भी होने लगती है। कुछ खाने की इच्छा नहीं है। आंखों के पीछे दर्द

डेंगू के मरीजों को कब चिंता करने की जरूरत

रेड फ्लैग डेंगू मरीजों के पेट में दर्द, पेट फूलना, कुछ भी खाने पीने का मन नहीं करना, बार-बार मूर्छा जैसा महसूस करना, पैरों में सूजन होना और सांस लेने में मुश्किल होना है। इसका अर्थ है कि सिम्प्टम्स खराब हो रहे हैं और इस मामले में तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। डॉ. राकेश पंडित बताते हैं कि कई केसेज में मरीजों को इंटरनल ब्लीडिंग होने लगता है और महिलाओं को पीरियड जल्दी होता है। यह भी चिंता का विषय है।

डेंगू में प्लेटलेट कितना होना चाहिए ?

डेढ़ से दो लाख लोगों में डेंगू प्लेटलेट है, इसलिए चिंता करने की जरूरत नहीं है। लेकिन डेढ़ लाख से कम प्लेटलेट पर निगरानी की आवश्यकता होगी। प्लेटलेट गिरने पर ब्लीडिंग भी हो सकता है। डॉक्टर की निगरानी में या अस्पताल में भर्ती होना बेहतर है। यदि प्लेटलेट निरंतर गिरता रहता है, तो बाहर से चढ़ाना भी आवश्यक हो सकता है।

प्लेटलेट टेस्ट कब करना चाहिए ?

यदि प्लेटलेट की संख्या 1 लाख से कम है, तो हर दिन प्लेटलेट की जांच करनी चाहिए। डॉक्टर राकेश पंडित ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति का बेसलाइन 3 लाख था और अगले दिन 2 लाख हो गया या फिर डेढ़ लाख हो गया, तो इस मामले में भी हर दिन परीक्षण कराना चाहिए।

डेंगू के मरीजों को क्या खाना-पीना चाहिए

डेंगू से पीड़ित लोगों को पर्याप्त लिक्विड का सेवन करना चाहिए। नारियल पानी, नींबू पानी, जूस, ओआरएस और बहुत सारा पानी पीना चाहिए।

बकरी का दूध या पपीते का पत्ता बढ़ाता है प्लेटलेट

डेंगू मरीजों को अक्सर बकरी का दूध, पपीते का पत्ता और गिलोय लेने की सलाह दी जाती है। डॉ. राकेश पंडित का कहना है कि वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि इससे मरीज को फायदा होता है। उल्टा बकरी के दूध से ब्रूसिलोसिस जैसी बीमारी होती है और मरीज को पपीते का पत्ता देने से उल्टी आ सकती है। उसके शरीर में शायद पानी की कमी हो। इसलिए इन सबसे बचना बेहतर है।

डेंगू में कब एडमिट होने की जरूरत

क्या डेंगू की कोई वैक्सीन भी है ?

हां, डेंगू की वैक्सीन कई देशों में उपलब्ध है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने डेंगू से पीड़ित लोगों को दो वैक्सीन देने की सलाह दी है। Dengvaxia और QDenga दो वैक्सीन हैं। भारत में अभी तक इनका विरोध नहीं हुआ है। भारत स्वयं कई वैक्सीन बना रहा है।

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