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लक्ष्य सेन की शॉट सेलेक्शन की उलझन और फीकी स्मैश पर कोच विमल कुमार की चिंता

Japan Open Super 750, टोक्यो (17 जुलाई 2025) — भारत के उभरते स्टार Lakshya Sen को जापान के विश्व नंबर 7 Kodai Naraoka के खिलाफ राउंड-ऑफ़-16 (दूसरे दौर) में 19-21, 11-21 की सीधी गेमों में हार झेलनी पड़ी। स्कोरलाइन जितना नहीं, उतना निर्णय लेने की गुणवत्ता (shot selection), नेट पर धीमापन और स्मैश में धार की कमी ने कोच Vimal Kumar को चिंता में डाल दिया है। यह नतीजा जापान ओपन में भारत के अभियान के जल्दी समाप्त होने का भी संकेत बना।

लक्ष्य सेन ने Japan Open में कोडाई नाराओका से हार के बाद शॉट सेलेक्शन और स्मैश पावर पर सवाल झेले; कोच विमल कुमार ने तकनीकी सुधार की बात कही।

त्वरित स्कोरकार्ड (Quick Scorecard)


क्यों यह हार चर्चा में है?

स्कोर लगभग साधारण दिख सकता है, लेकिन कहानी 17-17 (पहले गेम) के स्कोर के बाद बदल गई। वहीं से फिनिशिंग फ्रेज़ (finishing freeze) दिखी — लक्ष्य ने लगातार अहम अंक गँवाए, पेस नहीं बढ़ा पाए, और नेट से कमज़ोर रिटर्न उठे जिन्हें नाराओका ने दबाव में बदला। कोच विमल कुमार का मानना है कि लक्ष्य को ऐसे मौकों पर “साहस दिखाकर गति बदलनी” चाहिए थी।


कोच विमल कुमार क्या कह रहे हैं?

विमल कुमार ने स्पष्ट कहा कि लक्ष्य पहले गेम को क्लोज़ कर सकते थे। 17-ऑल पर वे “ठीक” खेल रहे थे, लेकिन उसके बाद नेट पर तीखापन नहीं, शटल पर स्पिन की कमी, और कमज़ोर लिफ्ट ने उन्हें मुश्किल में डाला। कोच का तकनीकी सुझाव: पंच क्लियर या लंबाई वाली लिफ्ट से कोर्ट खोलो, ताकि नाराओका केवल रिट्रीवेबल ड्रॉप्स तक सीमित रहें।


स्मैश की धार क्यों गायब लग रही है?

विमल की सबसे बड़ी चिंता: “Lakshya-smash” की स्टिंग कम हो रही है। यदि खिलाड़ी सही पोज़िशन (शटल के नीचे) में भी आ जाए, तो भी उनका फुल-पावर बॉडी-स्मैश घातक साबित नहीं हो रहा। कई मौकों पर वे स्लाइस या हाफ-स्मैश खेलते दिखते हैं; पहला स्मैश लौटने पर अगली रैलियों में पावर और भी कम हो जाती है, जिससे डाउन-द-लाइन फिनिश संभव नहीं रह पाती। यह प्रवृत्ति पिछले कुछ वर्षों में अधिक दिखी है।


क्या यह इंजरी का असर है?

रिपोर्टों में लक्ष्य सेन के शोल्डर और एंकल मैनेजमेंट की बात आती है। खिलाड़ी कह रहे हैं कि कंधा ठीक है, पर कोच को शक है कि कहीं मन के पीछे चोट का डर तो नहीं, जो आक्रामकता को रोक रहा हो। चोट के बाद खिलाड़ी अक्सर पूरा वजन शॉट पर डालने में हिचकते हैं — यही झिझक स्मैश में कम स्टिंग के रूप में दिख सकती है। (विश्लेषणात्मक विस्तार; पहली पंक्ति स्रोत आधारित, कारणात्मक व्याख्या विश्लेषणात्मक है।)


नेट गेम: जहां मैच फिसल गया

लक्ष्य की नेट उपस्थिति उस दिन साधारण से भी नीचे रही। नज़दीकी प्ले में धुंधलापन, अस्पष्ट ड्रिबल बनाम लिफ्ट निर्णय, और कई बार शटल कॉर्ड से क्लिप होकर अपने कोर्ट में गिरना — इन गलतियों ने नाराओका को आसान अंक दिए और पहला गेम 21-19 पर समाप्त हुआ। कोच का कहना है: नेट पर नुकीलापन ज़रूरी था; बिना स्पिन के शटल प्रतिद्वंद्वी को आराम देती है।


पेस वेरिएशन की कमी

विमल के अनुसार, पेस बदलना नाराओका को असंतुलित करने का एक प्रभावी रास्ता था। जापानी शटलर लंबे रैलियों में माहिर हैं, पर गति में अचानक उछाल और कोर्ट ओपनिंग क्लियर्स उन्हें पीछे धकेल सकते थे। लक्ष्य यह बदलाव लगातार लागू नहीं कर पाए।


मानसिकता: सेट बंद करने का डर?

17-17 पर पहुँचने के बाद लक्ष्य का खेल सिकुड़ गया मानो वे सेट “छीनने” को लेकर झिझक रहे हों। कोच का कहना है कि ऐसे क्षणों में बोल्ड रहना पड़ता है। उच्च स्तर के सुपर 750 इवेंट्स में छोटे-छोटे डर सीधे परिणाम बदल देते हैं। यह मानसिक बाधा अगली बड़ी चैंपियनशिप से पहले संबोधित करनी होगी।


लक्ष्य की अपनी स्वीकारोक्ति

मैच के बाद लक्ष्य सेन ने BWF से कहा कि मैच बेहद फिजिकल था और पहला गेम निर्णायक साबित हुआ। उन्हें मौके मिले थे; यदि पहला गेम ले लेते तो मुकाबला तीसरे तक जा सकता था। दूसरे गेम में उन्होंने “बहुत सारी आसान गलतियाँ” कीं, लंबाई कंट्रोल नहीं कर पाए और नेट से कई शॉर्ट लेंथ शॉट्स खेले। यह आत्म-विश्लेषण दर्शाता है कि खिलाड़ी भी समस्या-क्षेत्र पहचान रहे हैं।


भारत का जापान ओपन अभियान जल्दी खत्म

लक्ष्य सेन की हार के साथ ही पुरुष डबल्स की स्टार जोड़ी Satwiksairaj Rankireddy / Chirag Shetty भी बाहर हो गई, जिससे जापान ओपन 2025 में भारत की चुनौती जल्दी समाप्त होती दिखी। भारतीय बैडमिंटन समर्थकों के लिए यह निराशाजनक दिन रहा।


आगे का रास्ता: China Open & World Championships

विमल कुमार का साफ कहना है कि “हारते-हारते जीत की तैयारी” अच्छी रणनीति नहीं है; असली रास्ता है स्ट्रोक क्वालिटी पर कड़ी ट्रेनिंग और बड़े नामों के खिलाफ ज़्यादा मैच खेलना। लक्ष्य ने भी कहा कि वे सुपर-लेवल टूर्नामेंट्स नियमित खेलना चाहते हैं और अगली बड़ी परीक्षा China Open Super 1000 (Changzhou) तथा आगामी World Championships होगी।


विश्लेषण: लक्ष्य सेन के खेल से सीख — (कोच, खिलाड़ी और उभरते जूनियर्स के लिए)

नीचे दिए गए पॉइंट्स लक्षित सुधार क्षेत्रों को संक्षेप में बताते हैं:

1. क्रंच पॉइंट मैपिंग

महत्वपूर्ण स्कोर (16-16, 17-17, 18-18) पर पूर्व-निर्धारित 2-3 विश्वस्त पैटर्न रखें — जैसे तेज़ पुछ (push) टू बॉडी, नेट-टैप सेटअप + पग फॉलोअप, या डीप पंच क्लियर। स्रोत विश्लेषण: विमल द्वारा पेस वेरिएशन व क्लियर्स पर जोर।

2. नेट-से-गहराई ट्रांज़िशन ड्रिल्स

जब नेट पर विरोधी आराम से खेल ले, तो लंबाई बदलकर उसे पिछली रेखा की ओर मजबूर करें। इसे मल्टी-शटल ड्रिल्स के साथ प्रैक्टिस करें: 3 नेट ड्रॉप + 1 तेज़ पंच क्लियर।

3. स्मैश-प्लस-सीक्वेंस

सिर्फ एक स्मैश से पॉइंट खत्म होने की उम्मीद न करें; कोच की चिंता है कि पहला स्मैश लौटते ही पावर गिरती है। पैटर्न: स्मैश (फुल), रिपोज़िशन, हाफ-स्मैश, ड्राइव-प्रेशर।

4. माइक्रो-रिकवरी & फिजिकलिटी

मैच “बहुत फिजिकल” था — यदि लंबी रैलियाँ गेम-प्लान का हिस्सा हों, तो माइक्रो-रीसेट (3-सेकंड साँस) और शॉट-चॉइस में सरलता जरूरी। खिलाड़ी की पोस्ट-मैच टिप्पणियों से संकेत।


मैच मोमेंट्स: 17-17 से 19-21

रिपोर्ट्स के अनुसार लक्ष्य 17-17 तक मुकाबले में थे। इसके बाद:

  1. नेट एरर (कॉर्ड क्लिप)
  2. कमजोर लिफ्ट → अटैकिंग सेटअप नाराओका के लिए
  3. पेस न बदल पाना
  4. पहला गेम चला गया, गति पलटी। इन चार मोमेंट्स ने पूरे मैच का रुख तय किया।

डेटा स्नैपशॉट: रैंकिंग्स, टूर्नामेंट लेवल


संक्षिप्त निष्कर्ष

लक्ष्य सेन तकनीकी और मानसिक, दोनों मोर्चों पर एक संक्रमणकारी दौर से गुजर रहे हैं। उनके पास गति, फिटनेस और टॉप-टियर जीतों का अनुभव है, पर अभी चुनौती है क्रंच पॉइंट्स पर साहस, नेट की धार, और फुल-पावर स्मैश की वापसी। चीन ओपन और वर्ल्ड चैंपियनशिप से पहले यह आत्ममंथन समय पर आया है। कोच विमल कुमार की स्पष्टवादिता और लक्ष्य की आत्म-स्वीकारोक्ति — दोनों संकेत देते हैं कि सुधार की दिशा पहचानी जा चुकी है। अब बस क्रियान्वयन बाकी है।

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