रामपुर गांव के पास एक घना जंगल था, जो गाँव वालों के लिए हमेशा डरावना और रहस्यमयी बना रहा। दिन में भी सूरज की रोशनी उस जंगल में ठीक से नहीं पहुँच पाती थी, और रात को तो जैसे वहां अंधेरे का साम्राज्य हो जाता था। गाँव में यह मान्यता थी कि उस जंगल में एक चुड़ैल का वास है, जो हर रात लोगों की आत्माओं को पकड़ने के लिए भटकती है। गाँव के बुजुर्ग हमेशा बच्चों और युवाओं को चेतावनी देते कि रात होते ही उस जंगल की ओर कदम न बढ़ाएं, क्योंकि वहां से आज तक कोई लौट कर नहीं आया।
विनय एक साहसी और जिज्ञासु युवक था। वह इन सब बातों पर विश्वास नहीं करता था। उसका मानना था कि यह सब पुराने जमाने की कहानियाँ हैं, जिन्हें गाँव वाले डर की वजह से फैलाते हैं। एक दिन, विनय ने ठान लिया कि वह इस जंगल की सच्चाई जानकर रहेगा। गाँव के लोग उसे मना करते रहे, लेकिन विनय ने किसी की नहीं सुनी और अकेले ही जंगल की ओर चल पड़ा।
शाम का समय था, सूरज धीरे-धीरे डूब रहा था। विनय ने अपने कंधे पर एक टॉर्च और थोड़े से खाने-पीने का सामान लेकर जंगल में कदम रखा। जैसे ही वह जंगल में घुसा, उसे चारों ओर घना सन्नाटा महसूस हुआ। पक्षियों की चहचहाहट भी जैसे बंद हो गई थी। विनय ने सोचा, “शायद यह सिर्फ मेरा भ्रम है। जंगल तो वैसे भी शांत होते हैं।”
थोड़ी देर तक वह चलता रहा, और अचानक उसे एक अजीब सी गंध महसूस हुई। यह गंध ऐसी थी जैसे कुछ जल रहा हो, लेकिन आसपास कहीं आग नहीं दिख रही थी। तभी, पेड़ों के पीछे से हल्की-हल्की सरसराहट की आवाज आई। विनय ने टॉर्च जलाई, लेकिन वहां कोई नहीं था। उसने खुद को तसल्ली दी, “यह सिर्फ हवा है, कुछ और नहीं।”
जंगल के और अंदर जाते ही उसे अजीब-अजीब आवाजें सुनाई देने लगीं, मानो कोई उसके पीछे-पीछे चल रहा हो। विनय ने कुछ देर रुककर चारों ओर देखा, लेकिन वहां कोई नहीं था। अब उसके मन में थोड़ी बेचैनी होने लगी। उसने सोचा कि शायद गाँव वालों की बातों में कुछ सच्चाई है।
वह अभी पीछे मुड़ने की सोच ही रहा था कि अचानक उसे एक औरत की हंसी सुनाई दी। यह हंसी बहुत ही डरावनी और कर्कश थी। विनय का दिल तेजी से धड़कने लगा। उसने टॉर्च की रोशनी उस दिशा में डाली, जहां से हंसी आ रही थी, लेकिन वहां कुछ नहीं था। अब उसका शरीर पसीने से भीगने लगा था। विनय ने हिम्मत जुटाकर और आगे बढ़ने का फैसला किया।
कुछ ही कदम चलने के बाद उसे एक पेड़ के नीचे एक साया दिखाई दिया। वह औरत का साया था, जो सफेद साड़ी में लिपटी हुई थी। उसका चेहरा अंधेरे में छिपा हुआ था, लेकिन उसकी आंखों से तेज़ लाल रोशनी चमक रही थी। विनय ने टॉर्च की रोशनी उस पर डालने की कोशिश की, लेकिन टॉर्च अचानक बंद हो गई। अब विनय की घबराहट चरम पर थी।
वह तुरंत वापस भागने लगा, लेकिन उसके पैर जैसे जकड़ गए हों। उस औरत की हंसी और तेज हो गई। विनय ने पूरी ताकत से खुद को खींचकर भागने की कोशिश की, लेकिन उसके आसपास की हवा अचानक भारी हो गई थी। वह जैसे किसी अदृश्य जाल में फंस चुका था।
विनय ने खुद को छुड़ाने के लिए जोर लगाया, और तभी उसके सामने वह औरत आ गई। उसका चेहरा भयानक और विकृत था, आंखें खून जैसी लाल, और उसका मुंह इतना बड़ा था कि जैसे वह विनय को एक ही बार में निगल लेगी। विनय ने डर से आंखें बंद कर लीं, लेकिन उसके कानों में चुड़ैल की हंसी गूंजती रही।
अचानक, विनय को अपने कंधे पर किसी का हाथ महसूस हुआ। वह जोर से चिल्लाया और आंखें खोलीं। लेकिन यह चुड़ैल नहीं थी, बल्कि उसका दोस्त मोहन था, जो उसे ढूंढते हुए जंगल तक आ गया था। मोहन ने देखा कि विनय ज़मीन पर गिरा हुआ था और बुरी तरह से कांप रहा था। उसने विनय को उठाया और जल्दी से गांव की ओर भागा।
गांव पहुंचकर विनय को होश आया, लेकिन वह अब भी डर से कांप रहा था। गांव के बुजुर्गों ने उसे पानी पिलाया और पूछा कि जंगल में क्या हुआ था। विनय ने कांपती हुई आवाज़ में सब कुछ बताया – उस चुड़ैल के बारे में, उसकी हंसी के बारे में और उसके डरावने चेहरे के बारे में। यह सुनकर गांव के सभी लोग और भी डर गए।
बुजुर्गों ने बताया कि कई साल पहले उस जंगल में एक औरत की हत्या कर दी गई थी। वह औरत गांव की ही थी, जिसे जादू-टोने का दोषी ठहराकर मार दिया गया था। मरने से पहले उसने गांव वालों से बदला लेने की कसम खाई थी और तभी से उसकी आत्मा उस जंगल में भटक रही थी। जो भी उस जंगल में जाता है, वह उसकी चपेट में आ जाता है।
विनय ने कभी नहीं सोचा था कि वह एक दिन इस रहस्यमयी और डरावनी घटना का शिकार होगा। अब उसे गांव वालों की बातों पर पूरा यकीन हो गया था। उसने फैसला किया कि वह कभी भी उस जंगल के करीब नहीं जाएगा और न ही किसी को वहां जाने देगा।
उस दिन के बाद, विनय ने हमेशा अपने दोस्तों और परिवार को उस जंगल से दूर रहने की सलाह दी। गांव के लोग भी अब उस जंगल के बारे में और भी सतर्क हो गए थे। रात होते ही कोई भी उस ओर जाने की हिम्मत नहीं करता था। जो भी चुड़ैल की हंसी सुनता, वह समझ जाता कि मौत उसके करीब है।
शिक्षा –
इस कहानी का मूल संदेश है कि हमें बुजुर्गों और अनुभवी लोगों की सलाह का सम्मान करना चाहिए और उनकी बातों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। कभी-कभी हमारी जिज्ञासा और साहस हमें खतरों की ओर ले जा सकते हैं, जिन्हें समझने के लिए हमें सही अनुभव और ज्ञान की आवश्यकता होती है। अनजाने खतरों से बचने के लिए सतर्कता और सावधानी जरूरी है।