एक छोटा सा गांव था। उस गांव में एक बूढ़ा किसान रहता था। उसके पास एक खेत था जिसमें वह अनाज उगाता था। खेत के पास ही एक बड़ा सा पेड़ था। पेड़ पर एक कौवा रहता था।
कौवा रोज सुबह किसान के खेत में आता था और अनाज चुग जाता था। किसान बहुत परेशान था। वह सोचता था कि कैसे इस कौवे को खेत से दूर रखा जाए।
एक दिन किसान ने एक योजना बनाई। उसने एक मिट्टी का घड़ा लिया और उसमें थोड़ा सा पानी भर दिया। फिर उसने घड़े को पेड़ के नीचे रख दिया।
जब कौवा पानी पीने के लिए घड़े के पास आया तो उसने देखा कि घड़ा बहुत गहरा है और उसमें पानी बहुत कम है। कौवे ने सोचा कि अगर मैं कुछ पत्थर घड़े में डाल दूं तो पानी ऊपर आ जाएगा।
कौवा ने पास के ही पत्थर उठाकर घड़े में डालने शुरू कर दिए। धीरे-धीरे घड़े में पानी भर गया और कौवा पानी पीने लगा।
तभी किसान खेत में आया और उसने कौवे को देखा। किसान बहुत खुश हुआ। उसने कौवे को धन्यवाद दिया और उसे कभी फिर से खेत में न आने के लिए कहा।
कौवा भी शर्मिंदा हुआ और उसने किसान से माफी मांगी।
कहानी का अंत
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें धैर्य रखना चाहिए और समस्याओं का समाधान निकालने के लिए बुद्धि का प्रयोग करना चाहिए।
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